Kavi Udaychandra
कवि उदयचंद्र
अपभ्रंश भाषा के कवियों में उदयचंद्र भी अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। कवि की पत्नी का नाम देवमती था और यह कवि उदयचंद्र बाद में दिगंबर मुनिराज हो गए थे। इनका समय 12वीं शताब्दी माना गया है। इनकी एक मात्र रचना सुअंध दहमी कहा उपलब्ध है। इस ग्रंथ में मुनि निंदा के प्रभाव से कुष्ठ रोग की उत्पत्ति, नीच योनियों में जन्म, शरीर में दुर्गंध का होना और बाद में धर्म आचरण के प्रभाव से पाप का निवारण होकर स्वर्ग एवं उच्च कुल की प्राप्ति होने की कथा है। इस ग्रंथ में प्रयुक्त संवाद और शैली बहुत रोचक और सरस है। यह ग्रंथ निस्संदेह पठनीय है। इसमें कर्म फल का बहुत सुंदरता से वर्णन किया गया है।